मा गामनागामदितिं वधिष्ट।" (ऋग्वेदः--8.101.15)
अर्थः---((अनागाम्) निरपराध (अदितिम्) अहन्तव्या अर्थात् न मारने योग्य (गाम्) गौ को, (मा वधिष्ट) कभी मत मार।
गौ निरपराध होती है, ममतामयी, करुणामयी होती है, वह अहन्तव्या है, उसे कभी नहीं मारना चाहिए, अन्यथा कुल का नाश हो जाएगा। जो आज मार रहे हैं, वे पाप के भागी बन रहे हैं।
अर्थः---((अनागाम्) निरपराध (अदितिम्) अहन्तव्या अर्थात् न मारने योग्य (गाम्) गौ को, (मा वधिष्ट) कभी मत मार।
गौ निरपराध होती है, ममतामयी, करुणामयी होती है, वह अहन्तव्या है, उसे कभी नहीं मारना चाहिए, अन्यथा कुल का नाश हो जाएगा। जो आज मार रहे हैं, वे पाप के भागी बन रहे हैं।
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