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Friday, May 6, 2016

।निर्वाणषटकम्।। from Tulsidas Ji.


।निर्वाणषटकम्।।
मनोबुद्धयहंकारचित्तानि नाहं
न च श्रोत्रजिह्वे न च घ्राणनेत्रे।
न च व्योम भूमिर्न तेजो न वायु-
श्चिदानन्दरूपः शिवोSहं शिवोSहम् ।।१।।
मैं मन नहीं हूँ और न मैं बुद्धि, अहंकार या चित्त ही हूँ। मैं न श्रोत्र हूँ और न
जिह्वा, नासिका या नेत्र हूँ। मैं आकाश नहीं हूँ और वायु अग्नि, जल एवं
पृथ्वी भी नहीं हूँ। मैं चिदानंद-रूप हूँ; मैं शिव हूँ ।।1।।
न च प्राणसंज्ञो न वै पंचवायु-
र्न वा सप्तधातुर्न वा पंचकोशः।
न वाक्पाणिपादं न चोपस्थपायु
चिदानंदरूपः शिवोSहं शिवोSहम् ।।२।।
मैं प्राण-संज्ञा नहीं हूँ, मैं पंचवायु नहीं हूँ। मैं सप्तधातु नहीं और न पंचकोश
ही हूँ। मैं हाथ-पाँव, वाणी, गुदा या जननेन्द्रिय भी नहीं हूँ। मैं चिदानंदरूप
हूँ। मैं शिव हूँ; मैं शिव हूँ ।।2।।
न मे द्वेषरागौ न मे लोभमोहौ
मदो नैव मे नैव मात्सर्यभावः।
न धर्मो न चार्थो न कामो न मोक्ष-
श्चिदानंदरूपः शिवोSहं शिवोSहम् ।।३।।
मुझमें न द्वेष है, न राग; न लोभ, न मोह; न मद है, न मत्सर। मुझमें धर्म नहीं है, अर्थ
भी नहीं है। न इच्छा है, न मोक्ष ही है। मैं चिदानंदरूप हूँ। मैं शिव हूँ; मैं शिव हूँ
।।3।।
न पुण्यं न पापं न सौख्यं न दुःखं
न मंत्रो न तीर्थम् न वेदा न यज्ञा:।
अहं भोजनं नैव भोज्यम् न भोक्ता
चिदानंदरूपः शिवोSहं शिवोSहम् ।।४।।
मैं न पुण्य हूँ, न पाप; न सुख हूँ, न दुःख हूँ। मैं मन्त्र नहीं हूँ, मैं तीर्थ नहीं हूँ। मैं वेद
नहीं हूँ, यज्ञ भी नहीं हूँ। मैं न भोजन हूँ, न भोजन का कर्म हूँ और न भोजन
करने वाला हूँ। मैं चिदानंद-रूप हूँ। मैं शिव हूँ; मैं शिव हूँ ।।4।।
न मृत्युर्न शङ्का न मे जातिभेदः
पिता नैव मे नैव माता च जन्म।
न बन्धुर्न मित्रं गुरुर्नैव शिष्य-
श्चिदानानंदरूपः शिवोSहं शिवोSहम् ।।५।।
मेरे लिए न मृत्यु है, न शङ्का है; न जाति-भेद है, न माता-पिता हैं। मेरे लिए
जन्म नहीं है। मैं बंधु नहीं हूँ, मित्र नहीं हूँ, गुरु नहीं हूँ, शिष्य नहीं हूँ। मैं
चिदानंदरूप हूँ। मैं शिव हूँ; मैं शिव हूँ ।।5।।
अहं निर्विकल्पो निराकार-रूपो
विभुत्वाच्च सर्वत्र सर्वेन्द्रियाणाम्।
न चासंगतं नैव मुक्तिर्न मेय-
श्चिदानन्दरूपः शिवोSहं शिवोSहम् ।।६।।
मैं विचारहीन हूँ; आकारहीन हूँ। सर्वशक्तिमान हूँ, सर्वत्र हूँ।
सभी इन्द्रियों के परे, सबसे अलिप्त हूँ। मेरे लिए मुक्ति भी कुछ नहीं है। मैं
चिदानंद-रूप हूँ। मैं शिव हूँ; मैं शिव हूँ ।।6।।

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