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Tuesday, May 31, 2016

हनुमान् जी नर या वानर ??

हनुमान् जी नर या वानर ??
आधुनिक विद्वान् मानते हैं
श्रीवाल्मीकि रामायण में वर्णित वानर जाति जिसमें हनुमान् ,वाली ,सुग्रीव और अंगद आदि हैं । वास्तव में बन्दर नहीं वन नर हैं ( सङ्गतिवश पहले मैं भी यही मानता था )
...
वानर का अर्थ करते हैं - "वननर अर्थात् वनमें रहने वाले नर (मानव) ही वानर कहलाते हैं ।"
किन्तु ये सिद्धान्त असङ्गत है -
यदि वन में रहने से हनुमान् जीकी जाति वानर कहलायी तो ऋषि वानर जातिके क्यों नहीं हुए ? ऋषि महर्षियोंने तो वनोंमें रहकर ही वेदोंकी ऋचाओं के दर्शन किये इसलिए वेद भाग आरण्यक कहलाता है ।
अब रामायणमें वर्णित वानर शब्द का अर्थ वन-नर करके हनुमान् जी को वन में रहने वाला मानव मान लिया तब तो वाल्मीकिरामायण का सही से अनुशीलन किया ही नहीं । कैसे वह बताता हूँ ।
वाल्मीकिरामायणमें महाराज सुग्रीवकी सेनामें वर्णित भिन्न भिन्न योद्धाओं का वर्णन किया है भगवान् वाल्मीकिने जिन्हें केवल वानर ही नहीं अपितु कपि ,पिङ्गल, प्लवङ्ग ,गोलङ्गूल ,हरि और शाखामृग आदि नामोंसे यत्र-तत्र उल्लेख किया है । ये सभी नाम बन्दर के हैं मानवके नहीं ।
दूसरा कारण कि हनुमान् विशुद्ध संस्कृत बोलते हैं ,उन्हें चारों वेदोंका सम्यक् ज्ञान है , कहीं भी बोलने में अशुद्धि नहीं होती इसलिए हनुमान् जी बन्दर नहीं हो सकते मानव हैं ।
जब भगवान् श्रीहरिः मत्स्यरूप लेकर वेदोंकी रक्षा कर सकते हैं ,हयग्रीव रूप धारण करके वेदोंकी रक्षा कर सकते हैं ,हंस रूप से ब्रह्माजी श्रीमद्भागवतजी का उपदेश कर सकते हैं ,तब बन्दरका रूप पाकर वेद क्यों नहीं पढ़ सकते ??
अब यदि कहो ये तो पौराणिक कथा हैं ,हम तो केवल वेदोंको मानते हैं -
तब कहूँगा -
जब अश्वनीकुमार आथर्वण दधीचि का सिर काट कर घोड़े के सिर जोड़कर ब्रह्मविद्या प्राप्त कर सकते हैं , दधीचि अश्वशिर से ब्रह्मविद्या का उपदेश कर सकते हैं ,
‪#‎आथर्वणाय_अश्विनौ_दाधीचेऽश्व्यं_शिरः‬ ‪#‎प्रत्यैरयतम्‬ !"(ऋक्०१/११७/२२)
तब हनुमान् जी का वेद पाठ करना कौन सा कठिन कार्य है ?
जबकि रामायणमें वर्णित सभी वानर देवताओंके अवतार दिव्य वानर हैं ,जिनका शरीर मानव का है मुख और पूँछ बन्दर की है ।
इसीलिए इस प्रजातिको किम्पुरुष कहा जाता है शास्त्रोंमें । वाल्मीकिरामायणमें तो हनुमान् जी को स्पष्ट गोलङ्गूल (लँगूर-बड़ी पुंछ वाला बन्दर) के रूप में सर्वत्र वर्णन किया है ।
‪#‎रूद्र_देह_तजि_नेह_बस_बानर_भये_हनुमान्‬