Friday, March 27, 2015

हिन्दू धर्म में श्री राम चन्द्र

'हिन्दू धर्म में श्री राम चन्द्र जी भगवान के रूप
में पूजे जाते हैं !!! उनके वंश वृक्ष का अवलोकन
करें ।।
शास्त्रों के अनुसार
ब्रह्माजी की उन्चालिसवी पीढ़ी में भगवाम
श्रीराम का जन्म हुआ था । श्री राम
को श्रीहरि विष्णु का सातवाँ अवतार
माना जाता है।
वैवस्वत मनु के दस पुत्र थे – इल, इक्ष्वाकु,
कुशनाम, अरिष्ट, धृष्ट, नरिष्यन्त,करुष,
महाबली, शर्याति और पृषध।
श्री राम का जन्म इक्ष्वाकु के कुल में हुआ
था और एक मान्यता के अनुसार जैन धर्म के
तीर्थंकर निमि भी इसी कुल के थे।
मनु के दूसरे पुत्र इक्ष्वाकु से विकुक्षि,
निमि और दण्डक पुत्र उत्पन्न हुए। इस तरह
से यह वंश परम्परा चलते-चलते
हरिश्चन्द्र, रोहित, वृष, बाहु और सगरतक
पहुँची। इक्ष्वाकु प्राचीन कौशल देश के
राजा थे और इनकी राजधानी अयोध्या थी।
रामायण के बालकांड में गुरु
वशिष्ठजी द्वारा राम के कुल का वर्णन
किया गया है जो इस प्रकार है ……….
१ – ब्रह्माजी से मरीचि हुए।
२ – मरीचि के पुत्र कश्यप हुए।
३ – कश्यप के पुत्र विवस्वान थे।
४ – विवस्वान के वैवस्वत मनु हुए.वैवस्वत
मनु के समय जल प्रलय हुआ था।
५ – वैवस्वतमनु के दस पुत्रों में से एक का नाम
इक्ष्वाकु था।
इक्ष्वाकु ने
अयोध्या को अपनी राजधानी बनाया और इस
प्रकार इक्ष्वाकु कुलकी स्थापना की।
६ – इक्ष्वाकु के पुत्र कुक्षि हुए।
७ – कुक्षि के पुत्र का नाम विकुक्षि था।
८ – विकुक्षि के पुत्र बाण हुए।
९ – बाण के पुत्र अनरण्य हुए।
१०- अनरण्य से पृथु हुए
११- पृथु से त्रिशंकु का जन्म हुआ।
१२- त्रिशंकु के पुत्र धुंधुमार हुए।
१३- धुन्धुमार के पुत्र का नाम युवनाश्व था।
१४- युवनाश्व के पुत्र मान्धाता हुए।
१५- मान्धाता से सुसन्धि का जन्म हुआ।
१६- सुसन्धि के दो पुत्र हुए- ध्रुवसन्धि एवं
प्रसेनजित।
१७- ध्रुवसन्धि के पुत्र भरत हुए।
१८- भरत के पुत्र असित हुए।
१९- असित के पुत्र सगर हुए।
२०- सगर के पुत्र का नाम असमंज था।
२१- असमंज के पुत्र अंशुमान हुए।
२२- अंशुमान के पुत्र दिलीप हुए।
२३- दिलीप के पुत्र भगीरथ हुए।
भागीरथ ने ही गंगा को पृथ्वी पर
उतारा था.भागीरथ के पुत्र ककुत्स्थ थे।
२४- ककुत्स्थ के पुत्र रघु हुए।
रघु के अत्यंत तेजस्वी और पराक्रमी नरेश
होने के कारण उनके बाद इस वंश का नाम
रघुवंश हो गया,तब से श्री राम के कुल को रघु
कुल भी कहा जाता है।
२५- रघु के पुत्र प्रवृद्ध हुए।
२६- प्रवृद्ध के पुत्र शंखण थे।
२७- शंखण के पुत्र सुदर्शन हुए।
२८- सुदर्शन के पुत्र का नाम अग्निवर्ण था।
२९- अग्निवर्ण के पुत्र शीघ्रग हुए।
३०- शीघ्रग के पुत्र मरु हुए।
३१- मरु के पुत्र प्रशुश्रुक थे।
३२- प्रशुश्रुक के पुत्र अम्बरीष हुए।
३३- अम्बरीष के पुत्र का नाम नहुष था।
३४- नहुष के पुत्र ययाति हुए।
३५- ययाति के पुत्र नाभाग हुए।
३६- नाभाग के पुत्र का नाम अज था।
३७- अज के पुत्र दशरथ हुए।
३८- दशरथ के चार पुत्र राम, भरत, लक्ष्मण
तथा शत्रुघ्न हुए।
इस प्रकार ब्रह्मा की उन्चालिसवी (39)
पीढ़ी में श्रीराम का जन्म हुआ…..
जय श्री राम !!'हिन्दू धर्म में श्री राम चन्द्र जी भगवान के रूप
में पूजे जाते हैं !!! उनके वंश वृक्ष का अवलोकन
करें ।।
शास्त्रों के अनुसार
ब्रह्माजी की उन्चालिसवी पीढ़ी में भगवाम...
श्रीराम का जन्म हुआ था । श्री राम
को श्रीहरि विष्णु का सातवाँ अवतार
माना जाता है।
वैवस्वत मनु के दस पुत्र थे – इल, इक्ष्वाकु,
कुशनाम, अरिष्ट, धृष्ट, नरिष्यन्त,करुष,
महाबली, शर्याति और पृषध।
श्री राम का जन्म इक्ष्वाकु के कुल में हुआ
था और एक मान्यता के अनुसार जैन धर्म के
तीर्थंकर निमि भी इसी कुल के थे।
मनु के दूसरे पुत्र इक्ष्वाकु से विकुक्षि,
निमि और दण्डक पुत्र उत्पन्न हुए। इस तरह
से यह वंश परम्परा चलते-चलते
हरिश्चन्द्र, रोहित, वृष, बाहु और सगरतक
पहुँची। इक्ष्वाकु प्राचीन कौशल देश के
राजा थे और इनकी राजधानी अयोध्या थी।
रामायण के बालकांड में गुरु
वशिष्ठजी द्वारा राम के कुल का वर्णन
किया गया है जो इस प्रकार है ……….
१ – ब्रह्माजी से मरीचि हुए।
२ – मरीचि के पुत्र कश्यप हुए।
३ – कश्यप के पुत्र विवस्वान थे।
४ – विवस्वान के वैवस्वत मनु हुए.वैवस्वत
मनु के समय जल प्रलय हुआ था।
५ – वैवस्वतमनु के दस पुत्रों में से एक का नाम
इक्ष्वाकु था।
इक्ष्वाकु ने
अयोध्या को अपनी राजधानी बनाया और इस
प्रकार इक्ष्वाकु कुलकी स्थापना की।
६ – इक्ष्वाकु के पुत्र कुक्षि हुए।
७ – कुक्षि के पुत्र का नाम विकुक्षि था।
८ – विकुक्षि के पुत्र बाण हुए।
९ – बाण के पुत्र अनरण्य हुए।
१०- अनरण्य से पृथु हुए
११- पृथु से त्रिशंकु का जन्म हुआ।
१२- त्रिशंकु के पुत्र धुंधुमार हुए।
१३- धुन्धुमार के पुत्र का नाम युवनाश्व था।
१४- युवनाश्व के पुत्र मान्धाता हुए।
१५- मान्धाता से सुसन्धि का जन्म हुआ।
१६- सुसन्धि के दो पुत्र हुए- ध्रुवसन्धि एवं
प्रसेनजित।
१७- ध्रुवसन्धि के पुत्र भरत हुए।
१८- भरत के पुत्र असित हुए।
१९- असित के पुत्र सगर हुए।
२०- सगर के पुत्र का नाम असमंज था।
२१- असमंज के पुत्र अंशुमान हुए।
२२- अंशुमान के पुत्र दिलीप हुए।
२३- दिलीप के पुत्र भगीरथ हुए।
भागीरथ ने ही गंगा को पृथ्वी पर
उतारा था.भागीरथ के पुत्र ककुत्स्थ थे।
२४- ककुत्स्थ के पुत्र रघु हुए।
रघु के अत्यंत तेजस्वी और पराक्रमी नरेश
होने के कारण उनके बाद इस वंश का नाम
रघुवंश हो गया,तब से श्री राम के कुल को रघु
कुल भी कहा जाता है।
२५- रघु के पुत्र प्रवृद्ध हुए।
२६- प्रवृद्ध के पुत्र शंखण थे।
२७- शंखण के पुत्र सुदर्शन हुए।
२८- सुदर्शन के पुत्र का नाम अग्निवर्ण था।
२९- अग्निवर्ण के पुत्र शीघ्रग हुए।
३०- शीघ्रग के पुत्र मरु हुए।
३१- मरु के पुत्र प्रशुश्रुक थे।
३२- प्रशुश्रुक के पुत्र अम्बरीष हुए।
३३- अम्बरीष के पुत्र का नाम नहुष था।
३४- नहुष के पुत्र ययाति हुए।
३५- ययाति के पुत्र नाभाग हुए।
३६- नाभाग के पुत्र का नाम अज था।
३७- अज के पुत्र दशरथ हुए।
३८- दशरथ के चार पुत्र राम, भरत, लक्ष्मण
तथा शत्रुघ्न हुए।
इस प्रकार ब्रह्मा की उन्चालिसवी (39)
पीढ़ी में श्रीराम का जन्म हुआ…..
जय श्री राम !!

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