Friday, March 27, 2015

All living creature are one

जहाँ अन्य संप्रदायों में अन्य जीवों को उपभोग का साधन समझा जाता है, केवल हिंदु धर्म ही सभी जीवों से प्रेम की शिक्षा देता है । एकमात्र हिंदु धर्म ही है जो न केवल मानव-मात्र अपितु प्राणी-मात्र के कल्याण की शिक्षा देता है ।
विद्याविनयसम्पन्ने ब्राह्मणे गवि हस्तिनि ।
शुनि चैव श्वपाके च पण्डिताः समदर्शिनः ॥
गीता -अध्याय 5 श्लोक 18...
जो लोग विद्या और विनय संपन्न होकर
ब्राह्मण ,गाय ,कुत्ता , हाथी और चंडाल
को समान दृष्टि से देखते हैं , वास्तव में
वही पंडित कहलाने के योग्य हैं .
आत्मौपम्येन सर्वत्र समं पश्यति योऽर्जुन ।
सुखं वा यदि वा दुःखं स योगी परमो मतः ॥
गीता -अध्याय 6 श्लोक 32
जो लोग सभी प्राणियों को अपने जैसा , और
उनके सुख दुःख को भी अपना जैसा समझते
हैं ,वही लोग परम श्रेष्ठ योगी कहलाते हैं
http://hindu/geeta/toc.htm

No comments:

Post a Comment