Saturday, September 27, 2014

हिंदी की सूक्तियां-भय, अभय , निर्भय

हिंदी की सूक्तियां-भय, अभय , निर्भय

कबिरा मन निर्मल भया , जैसे गंगा नीर ।
पीछे-पीछे हरि फिरै , कहत कबीर कबीर ॥
— कबीर
साहसे खलु श्री वसति । ( साहस में ही लक्ष्मी रहती हैं )
इस बात पर संदेह नहीं करना चाहिये कि विचारवान और उत्साही व्यक्तियों का एक छोटा सा समूह इस संसार को बदल सकता है । वास्तव मे इस संसार को इसने (छोटे से समूह) ही बदला है ।
जरूरी नही है कि कोई साहस लेकर जन्मा हो , लेकिन हरेक शक्ति लेकर जन्मता है ।
बिना साहस के हम कोई दूसरा गुण भी अनवरत धारण नहीं कर सकते । हम कृपालु, दयालु , सत्यवादी , उदार या इमानदार नहीं बन सकते ।
बिना निराश हुए ही हार को सह लेना पृथ्वी पर साहस की सबसे बडी परीक्षा है ।
— आर. जी. इंगरसोल
जिस काम को करने में डर लगता है उसको करने का नाम ही साहस है ।
मुट्ठीभर संकल्पवान लोग, जिनकी अपने लक्ष्य में दृढ़ आस्था है, इतिहास की धारा को बदल सकते हैं।
- महात्मा गांधी
किसी की करुणा व पीड़ा को देख कर मोम की तरह दर्याद्र हो पिघलनेवाला ह्रदय तो रखो परंतु विपत्ति की आंच आने पर कष्टों-प्रतिकूलताओं के थपेड़े खाते रहने की स्थिति में चट्टान की तरह दृढ़ व ठोस भी बने रहो।
- द्रोणाचार्य
यह सच है कि पानी में तैरनेवाले ही डूबते हैं, किनारे पर खड़े रहनेवाले नहीं, मगर ऐसे लोग कभी तैरना भी नहीं सीख पाते।
- वल्लभभाई पटेल
वस्तुतः अच्छा समाज वह नहीं है जिसके अधिकांश सदस्य अच्छे हैं बल्कि वह है जो अपने बुरे सदस्यों को प्रेम के साथ अच्छा बनाने में सतत् प्रयत्नशील है।
- डब्ल्यू.एच.आडेन
शोक मनाने के लिये नैतिक साहस चाहिए और आनंद मनाने के लिए धार्मिक साहस। अनिष्ट की आशंका करना भी साहस का काम है, शुभ की आशा करना भी साहस का काम परंतु दोनों में आकाश-पाताल का अंतर है। पहला गर्वीला साहस है, दूसरा विनीत साहस।
- किर्केगार्द
किसी दूसरे को अपना स्वप्न बताने के लिए लोहे का ज़िगर चाहिए होता है |
-– एरमा बॉम्बेक
हर व्यक्ति में प्रतिभा होती है. दरअसल उस प्रतिभा को निखारने के लिए गहरे अंधेरे रास्ते में जाने का साहस कम लोगों में ही होता है.
कमाले बुजदिली है , पस्त होना अपनी आँखों में ।
अगर थोडी सी हिम्मत हो तो क्या हो सकता नहीं ॥
— चकबस्त
अपने को संकट में डाल कर कार्य संपन्न करने वालों की विजय होती है। कायरों की नहीं।
–जवाहरलाल नेहरू
जिन ढूढा तिन पाइयाँ , गहरे पानी पैठि ।
मै बपुरा बूडन डरा , रहा किनारे बैठि ॥
— कबीर

वे ही विजयी हो सकते हैं जिनमें विश्वास है कि वे विजयी होंगे ।
–अज्ञात

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